Saturday, November 19, 2011

GANDHI PEACE FOUNDATION



YOUTH FRATERNITY FOUNDATION

PUSHPANJALI PRAWAHA

A CAMPAIGN FOR ENVIRONMENTAL CONSERVATION

Name of the Organization: Youth Fraternity Foundation

Contract Details: No. 12, 2nd Floor, Calypso Bistro, Hauz Khas Village, New Delhi - 110016

Ph: 9818592979 , 8130930054

E-Mail- yff.india@gmail.com , www.yffindia.blogspot.com

Type of Organization and date of registration: Non-Governmental Organization , 07 Dec 2005

Description of the Organization: The organization’s goal is to prevent pollution in rivers and other water bodies caused due to immersion of sacred waste from temples and other religious institutions, while providing employment, education and growth opportunities to poor unemployed youths. The organization has led awareness campaigns about the problems associated with this waste in rivers, collected the sacred waste from shops, temples, homes, near pipal trees, and near river sites, and recycled them in appropriate manner.

Our organization Youth For fraternity Foundation is a registered organization under the societies registration act. We have been working for the last ten years for spreading awareness on the above issues amongst the general public, religious establishments and the government departments.



OUR OBJECTIVES: PRESERVE OUR RIVERS... PROVIDE EMPLOYMENT TO OUR YOUTH , EDUCATE THE CHILDREN , ORIENTATION PROGRAMMES FOR HAPPINESS & SUCCESS ... & CHANNELIES TALENTED ARTISTS.

My aim is to serve the nation in various ways. You must be aware of the pollution being caused due to the disposal of used flowers and other worship materials in our Holy River Yamuna , and carried by all the rivers of India. Our organization, YFF, has undertaken a project to clean the rivers of INDIA starting with The YAMUNA, which will be starting from Delhi .
This world is full of purities & impurities and we in the race of materialistic needs never get time to think about our motherland and environment. We are so busy that we never think about anything apart from our family and materialistic requirements. Do we know the truth of the flowers, which we dedicate to our Lord " The Creator of this world"?
















नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का प्रभावी प्रकल्प : पुष्पांजलि प्रवाह

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प्रदूषण : पूजा के फूल से यमुना में प्रदूषण! दिल्ली सरकार निरंतर समाचारपत्रों और होर्डिंग्स के माध्यम से सूचित करती है कि भगवान पर चढ़े हुए फूल और मालाओं को बैग में डालकर यमुना में विसर्जित किया जाए, क्योंकि उससे यमुना दूषित हो रही है , यमुना पुल पर दोनों किनारे लोहे की जाली से घेरा लगा दिया गया है ताकि श्रद्धालु पूजा सामग्री डाल सकें , लेकिन जाली को बीच-बीच में लोगों ने काट दी हैं, जिससे उन्हें फूल माला फेंकने की परेसानी हो . दिल्ली सरकार प्रति बर्ष तीन चार बार जाली को जोड़ती है , लेकिन लोग उसे काट देते हैं . दूसरी ओर हमारे बहुत से भी बहन जो फूल बड़ी भक्तिभाव से देवताओं के चरणों में चढाए जाते हैं उसे किसी पीपल वृक्ष के नीचे रख दिया जाता है , किसी खम्बे पर टांग दिया जाता है , किसी मंदिर में रख दिया जाता है . धार्मिक वस्तु , फूल माला , देवी- देवताओं की खंडित मूर्तियाँ , धार्मिक कार्ड का कैलेण्डर , अगरबत्ती के पैकेटों पर छपी भगवान की तस्वीर वाला खाली पैकेट एवं चुन्नियाँ आप दिल्ली शहर में जहाँ भी देखें , हिन्दू धर्म की पूजा सामग्री बिखरी पडी मिलेगी. इस तरह हम शहर को भी गन्दा एवं प्रदूषित कर रहे हैं . लोग कहते हैं कहाँ फेकें? यह भले ही देखने में सामान्य कार्य लगता हो परन्तु हिन्दू विश्वास के अंतर्गत इसका आध्यात्मिक एवं धार्मिक मूल्य है , तार्किकों को भले ही अटपटा लगे , परन्तु उन्हें इस बात पर सहमत होना पड़ेगा कि सिर्फ बौद्धिक होकर अथवा तर्क का सहारा लेकर इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता . यमुना नदी में जो भक्तजन पूजा सामग्री फेंकते हैं ,वह यमुना नदी की गहराई कम करते हैं. यमुना नदी की गहराई पहले 12 -15 मीटर थी , जो अब मात्र 1 -2 मीटर है. नदी की गहराई ही नहीं है , जिसके कारण बाढ़ एवं सूखा की समस्या होती है . यह हमारे कारण प्रदूषण की वर्तमान व्यवस्था का नतीजा है . दुनिया का पथ प्रदर्शन करना अतीत में भी हमारा पावन कर्त्तव्य रहा है और हर परिस्थिति में हमें वही कार्य करना है ताकि निकट भविष्य में पर्यावरण का संकट टाला जा सके. हमें इस धार्मिक कार्य के लिए सुसज्जित होना होगा.

सरकारी मानसिकता , प्रयास एवं खर्च : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पूजा सामग्री से 1 .5 % नदी प्रदूषित होती है . दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार लाखों प्लास्टिक बैग में पूजा सामग्री यमुना में डाली जाती है , जो नहीं होना चाहिए, पर कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन हमने और आपने देखा कि दिल्ली में 10 बर्षों से यहीं पूजा सामग्री ही निकाली जा रही है. यमुना के किनारे यह सामग्री से भरा हुआ है.
प्रयास - सभी पुलों पर जाली लगाया गया है . प्रत्येक बर्ष विद्यार्थियों द्वारा यमुना के किनारों की सफाई , गैर सरकारी संस्था द्वारा सफाई दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा सफाई श्री श्री रविशंकर द्वारा सफाई को सरकार ने मदद किया .
खर्च- विद्यालयों को दस हजार एवं बच्चों को नास्ता , दस्ताने, फावड़ा वस्तुएं प्रदान किया जाता है . प्रत्येक बर्ष इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमे काफी खर्च होता है. इसके साथ दिल्ली सरकार द्वारा समय- समय पर सफाई कार्यक्रम होता है . यमुना में जान डालो ...............इस तरह का 10 बर्षों से सरकार प्रचार कर रही है. जितना पूजा सामग्री प्रत्येक बर्ष गिराई जाती है उसमे से 25 % ही साफ हो पाती है.
सूचना का अधिकार के द्वारा हमें पता चल सकता है कि 10 बर्षों में इन पूजन सामग्री को साफ करने के लिए सरकार द्वारा कितने अभियान चलाए गए ? इसमे कितना खर्च हुआ? इसका परिणाम क्या रहा ? इस सरकारी अभियान को किन-किन लोगों द्वारा तैयार किया गया था? आने वाले बर्षों में किन-किन अभियान पर सरकार काम करने जा रही है और उसके लिए कितना बजट निर्धारित हुआ है?

मूल समस्या : सभी लोग भगवान , गौड , अल्लाह ,गुरु गोविन्द सिंह और अपने -अपने धर्म से जुड़े हैं. किसी किसी प्रकार अपने भगवान को खुश रखने के लिए भक्त उन्हें माला फूल एवं अन्य सामग्री से पूजा अर्चना करते हैं. उसके बाद सभी वस्तुओं को नदी एवं किसी मंदिर या पीपल के पेड़ के नीचे फ़ेंक देते हैं क्योंकि यह सामग्री पांच- छः दिन के बाद सड़ने पर बदबू देने लगता है , इसलिए लोग इसे जल्दी से कहीं-कहीं फ़ेंक देना उचित समझते हैं . शास्त्र के अनुसार भगवान पर चढ़ाई गयी पूजा सामग्री बसी घर में नहीं रखना चाहिए. मंदिरों में , गुरुद्वारा में , मजारों पर जो फूल -माला चढ़ाई जाती है वह भी यमुना में फेंकना इनकी मजबूरी है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि नदी को आप गन्दा नहीं कर सकते लेकिन अब तक इस आदेश पर अमल हेतु कोई व्यवस्था ही नहीं है . दिल्ली सरकार ने 2005 को हलफनामा देकर दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि पूजा सामग्री डालने के लिए सरकार यमुना के किनारे बड़े-बड़े कुण्ड बनाएगी , लेकिन 6 बर्ष बीतने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है. लोग प्रति बर्ष 15 लाख किलोग्राम पूजा सामग्री यमुना में फ़ेंक देते हैं. दिल्ली में प्रतिदिन बीस हजार किलोग्राम फूलों कि खपत है. नवरात्रि में प्रतिदिन चालीस हजार किलोग्राम खपत होती है. नवरात्रि बर्ष में 2 बार होती है
8 +8
दिन=16x40,000k.g=6,40,000 kg
300
दिन x 20,000 k.g . =60,00000 kg
इसके आलावा देवी देवताओं कि खंडित मूर्तियाँ , धार्मिक कार्ड , कैलेण्डर, अगरवत्ती के पैकेटों पर भगवान की तस्वीर वाला खाली पैकेट , तस्वीर, चुन्नियाँ , धार्मिक फटी पुरानी पुस्तकें भी फेंके जाते हैं.
दिल्ली में 1 करोड़ 20 लाख लोग हैं लगभग-: 25 लाख लोगों के घरों में से 2 किलोग्राम प्रत्येक बर्ष यदि किलोग्राम भी निकालता है तो 25 लाख x 2 किलोग्राम =50 लाख किलोग्राम यह पूजन सामग्री भी यमुना में गिराई जाती है.
(6 ,40 ,000
किलोग्राम +60,00,000 किलोग्राम +50,00,000 किलोग्राम =116,40,000 किलोग्राम ) यह डाटा एक जनरल कॉमन सेन्स है. इसको निकलने में कितने करोड़ लगेंगे? यह एक बर्ष में डाली गयी पूजन सामग्री है.

समाधान : इस समस्या पर गंभीरता पूर्वक अनुसन्धान कर समस्या का समाधान खोजा गया है, जिसमें भक्तों की आस्थाओं को ध्यान में रखकर उसके अनुरूप ही व्यवस्था बनाई गयी है. दिल्ली के सरकारी रिकार्ड में लगभग 2500 मंदिर है, जबकि वास्तव में लगभग 4200 मंदिर हैं.
एक पायलट कार्यक्रम
(
) 500 किलोग्राम फूल से अधिक खपत वाले मंदिरों में छोटा कलश रखना , जिसमें 150 किलोग्राम फूलमाला एवं पूजा सामग्री जाती है. जिसे एक दिन छोड़कर हमारे कार्यकर्ता आयेंगे और सभी सामग्री ले जायेंगे.
(
)1000 जगह पर जहाँ लोगों का निवास स्थान है वहां पुष्पांजलि प्रवाह पात्र लगाना जिससे जो लोग घरों में पूजा करते हैं वह अपना पूजा सामग्री अपने घरों के पास लगे पात्र (बौक्स ) में डालें . यमुना पीपल का पेड़ मंदिर जाकर फेंकने की जरूरत नहीं है . एक पात्र में 150 किलोग्राम पूजा सामग्री आती है . तीन दिन छोड़कर इन पात्र (बौक्स ) को खाली करने की व्यवस्था की गयी है.
(
) दुकानदार भी अपने दुकानों में प्रतिदिन पूजा अर्चना करते हैं. पुष्पांजलि प्रवाह के कार्यक्रम में हमारे कार्यकर्ता एक दिन छोड़कर प्रत्येक दुकान जायेंगे और पूजा सामग्री उनसे ले लेंगे.
(
) जो भक्त यमुना के पुलों से पूजा सामग्री फेंकते हैं , हमारे कार्यकर्ता उनसे वहां वह सामग्री अपने कलश में ले लेंगे. दुबारा लोग जाली काटे के लिए वहां पर कुछ और व्यवस्था करनी है जिससे समय आने पर उसे ठीक कर दिया जाएगा.
इसके बाद भी जो लोग यमुना नदी के किनारे अपनी पूजा सामग्री को लेकर आएँगे , हमारे कार्यकर्ता वहां भी मौजूद हैं . वे वहां सामग्री उनसे बड़े सम्मान के साथ ले लेंगे और यमुना नदी को प्रदूषित होने देंगे. इस तरह इस समस्या का कारण और निवारण की एक सम्पूर्ण योजना है . इस योजना के द्वारा इस समस्या का समाधान हमेशा के लिए हो जाएगा एवं दिल्ली के 250 बेरोजगार लडके एवं लड़कियों को रोजगार भी मिलेगा.
हमारे प्रयास : पुष्पांजलि प्रवाह के कार्य को आठ साल तक गहराई से अनुसन्धान करने के बाद हमने उच्च प्रयोग किया . हमारा प्रयोग एक दम सफल रहा . कुछ त्रुटियाँ थी जिसे हम दूर कर चुके हैं. एक प्रयोग दिल्ली के चांदनी चौक से सदर बाजार तक दुकानदारों से पूजा सामग्री लेने का कार्य किया गया . यह प्रयोग छह महीनों तक अलग-अलग तरीके से किया गया.लोगों के घरों के पास पुष्पांजलि प्रवाह पात्र श्री हासिम बाबेजी के द्वारा ही कार्य का संचालन किया गया था , जिसमे काफी सफलता मिली , लेकिन यहाँ एक प्रयोग था , जिसमें अब कुछ सुधार किया गया है. मंदिरों में एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें मंदिरों के व्यवस्थापकों ने पूर्ण सहयोग का वादा किया. यह सर्वेक्षण आठ महीने तक किया गया था .

यमुना के घाटों पर पर जो (नाविक) नाव चलाने वाले होते हैं. उनके सहयोग से 11 , 12 , 13 , 14 .4 .2011 में जो लोग पूजा सामग्री लेकर आए , उसमें से प्लास्टिक बैग निकालकर बाकी सामग्री प्रवाह करने दिया गया. इसमें नाविकों का पूर्ण सहयोग मिला . इस अभियान के दौरान इकठ्ठा की गयी प्लास्टिक थैली लगभग 200 किलोग्राम अधिक था. 2005 से हमने इस कार्य के लिए दिल्ली के सभी सरकारी संस्थानों इस समस्या एवं समाधान की जानकारी दी एवं सहयोग की प्रार्थना की लेकिन 2011 तक सिर्फ पत्र व्यवहार के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं अपनाया गया. इस दौरान दिल्ली के 72 विधायक , सांसद, राज्यपाल, मेयर ,मुख्यमंत्री, दिल्ली राज्य प्रदूषण नियंत्रण समिति ,केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति 2005 से अब तक जो भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री बने, उनको भी इस योजना की जानकारी दी गयी एवं सहयोग की अभिलाषा था, लेकिन उन्होंने कोई पत्र व्यवहार करना भी उचित समझा.

2008 में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप पर मुख्यमंत्री के पर्यावरण सचिव श्री जादू ने लगभग चालीस हजार रूपए सहयोग दिया ,जिससे हम अपनी ख़राब गाडी मरम्मत करवा सके तथा एक साईकिल ठेला ले सके.

दिल्ली के फूलों के मंडियों का व्यवस्थित सर्वेक्षण किया किया गया और उन्होंने सहयोग का वादा किया. सभी धर्म के संत , महंत को इस कार्य के बारे में जानकारी एवं समर्थन तथा 165 सांसदों को जानकारी देना , राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्यमंत्रियों को जानकारी दिया गया एवं समर्थन हेतु प्रार्थना किया गया !